शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती


 शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती.....!!


आज पिंकी के बाबा बहुत खुश थे आखिर खुश होते भी क्यों नहीं आज के दिन का उन्होंने बहुत वर्षों इंतज़ार किया था....!!


अपनी मां यानी पिंकी की दादी की बहुत सारी गालियां भी सुनी थी....!!


आस पडोस वाले अलग तंग करते मतलब सब इन बाप बेटियों का मज़ाक उड़ाते थे |


 मज़ाक उड़ाते भी क्यों नहीं आखिर उन सभी की बच्चियां सुघर थीं सिलाई, कढ़ाई, बुनाई या कोई भी या कोई भी बेहतरीन डिशेज हों उनकी बच्चियां आसानी से बना लेति थीं सोने पे सुहागा ये की उन लोगों की बच्चियां पढ़ाई भी करतीं थी |


 स्कूल के दिनों में पिंकी अपने शिक्षक  _ शिक्षिकाओं के आंखों की तारा थी ,सभी चाहते थे की पिंकी और आगे जाए....


लेकिन उसके आगे बढ़ने में रुकावट फाइनेंशियल बैकग्राउंड थी क्योंकि पिंकी एक बहुत ही गरीब परिवार से थी |


उसके बाबा गांव के बड़े लोगों के खेतों में मजदूरी किया करते थे और माता जी उन्हीं बड़े लोगों के घरों में झाड़ू पोंछे का काम किया करतीं थीं ,इस से पगार मिलता उस से इनलोगों की दाल रोटी चलती ,पिंकी के पढ़ाई का थोड़ा बहुत खर्च निकल जाता और दादी की दवाई भी इसी से पूरी होती |


पिंकी की वजह से उसके टीचर लोग भी उसके बाबा की फाइनेंशियली हेल्प कर दिया करते ,पिंकी के बाबा बहुत ही खुद्दार व्यक्ति थे उन्हें किसी से ऐसी हेल्प लेना अच्छा नहीं लगता लेकिन वो लोग ये कह कर उनकी मदद करते की जब पिंकी का जॉब लग जायेगा तो वो उस से अपने अपने पैसे वापस ले लेंगे तब जा कर पिंकी के बाबा माने थे उन लोगों से हेल्प लेने को |


"एक दिन की बात है पिंकी रात में टॉर्च लिए घूम-घूम के कुछ याद करने की कोशिश कर रही थी सामने दादी सो रहीं थीं एक तो पिंकी की मोहिनी आवाज़ उन्हें कर्कश लग रही थी जब भी पिंकी उस तरफ़ से वापस मुड़ती टॉर्च की तेज रोशनी उनके आंखों पर पड़ती जिस से बूढ़ी आंखें चिलमिला जाती थी | 


"ए सुन मनहूस छोड़ी...!!


दो चार शब्द याद कर के वकील नहीं बन जायेगी , रहेगी तो मजदूर की ही बिटिया सो आग लगा इन किताबों  को और सो जा...!!


अच्छी नींद से चेहरा चमकता है ,अपना ख्याल रख ताकि जल्दी से कोई अच्छा लड़का देख कर शादी कर दूं....


अपनी मां से कुछ घरदारी सिख ले जो अगले घर काम आयेगी वरना वहां भी नाक मत कटवा देना हमारी , ये न सुनने के मां ने कुछ सिखाया हीं नहीं "


दादी की बात सुन कर पिंकी को  बहुत रोना आया था और बहुत ही अफसोस भी हुआ था |


"दादी मैं नहीं चाहती की आप को आगे से जवाब दूं ,लेकिन आज मैं कुछ कहना चाहती हूं भले ही आप मुझे मुंहफट या बदतमीज कहें लेकिन आज मैं चुप नहीं रह सकती |


सब से पहले की आगे से कभी भी किताबों को आग लगाने वाली बात न सुनूं आप को पता है हमारे ईश्वर ने भी सब से पहले अच्छी शिक्षा हासिल करने को कहा है...


 आप को पता है मेरी फ्रेंड रिचा है  इसि शिक्षा के लिए एक देवी की पूजा करती हैं वो लोग जिन्हें सरस्वती माता कहा जाता है | अब आप ही बताओ ऐसा कौन सा धर्म है जहां किताबों को आग लगाने की बात की जाती है ?


मेरे ख्याल से ऐसा कोई धर्म नहीं जहां शिक्षा की बात न हो |


हम लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी तो कोई नहीं लगा सकता न आप,न कोई धर्म, न कोई जाति न कोई व्यक्ति सो मैं पढूंगी और कुछ बनूंगी ताकि लोग मेरे बाबा को गरीब लाचार होने के ताने न दें "कह कर पिंकी बाहर आ जाति है पढ़ने के लिए क्योंकि उसके बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले थे जिसमे उसे टॉप करना था |


पिंकी अपने मेहनत से बाबा के सपने ,अपने गुरुओं की मेहनत को साकार करती है और बोर्ड एग्जाम टॉप करती है और यहां से शुरू होती है पिंकी के कामयाबी की कहानी पिंकी की दादी के साथ साथ आस पडोस की बच्चियों के माता पिता की भी सोच बदलने लगती ,वो अपनी अपनी बेटियों को सिर्फ पढ़ने को नहीं बल्कि कामयाब होने को कहते हैं ताकि वो लोग भी पिंकी के बाबा की तरह ही अपनी अपनी बेटियों पर गर्व कर सकें |


सच में आज पिंकी सफल हुई थी वो एसडीएम पिंकी बन के गांव लौट रही थी अपनो के सपनों को साकार कर के , जो लोग पिंकी के बाबा का कल गलियों , तानों से स्वागत करते थे आज वही लोग उन्हें स्पेशल कंपनी दे रहे थे |


सब के सब पिंकी के बाबा जैसे बनने में लगे थे | पिंकी के बाबा अपनी पिंकी पर गर्व कर रहे थे और सच ही कहा है किसी ने बेटियों को शिक्षित करो कई पीढ़ियां खुद ही शिक्षित हो जाएंगी 



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