जीवन एक बार मिलता है
जीवन एक बार मिलता है
"जो समझौता आप लोगों के लिए हानिकारक हो उसे मत कीजिये ! जीवन एक बार मिलता हैं ,,खुलकर जी लिजिये !"
अनुज दौड़ता
हुआ आया ,,,मम्मी
देखो बुआ जी को क्या
हो गया हैं
,,विराट को कितना
मार रही हैं
!
सीमा आटे सने
हाथों से ही दौड़ती हुई
आंगन में आयी
!
दीदी ,,.क्या हो
गया ,,आप इतनी गुस्से में
क्यूँ हैं ,,अनुज
कह रहा था कि बुआ
जी गुस्सा हो
गयी और विराट
को डंडे से मार रही
हैं ! सीमा
ने रोते हुए
विराट को अपने सीने से
लगा लिया !
कविता (सीमा की
ननद ) - मुझे मत रोको भाभी
,,मैं इसे मार डालूँगी ! आज तुझे छोडूँगी नहीं ! कहता
हैं ये मेरा घर हैं
,,ये नहीं समझता
की जिस दिन से
तेरी मामी आयी
हैं उस दिन ही मेरा
और इसका आधा
हक खत्म हो गया घर
पर ! जबसे अनुज हुआ हैं
तब से तो हम इस
घर के मेहमान
बनकर रह गए हैं !
अनुज सही
कहता हैं ये उसका और
उसके मम्मी पापा
का घर हैं !
तू अपने घर जा और
विराट को धक्का
दे दिया इसने
!
सीमा - दीदी मैं
माफी मांगती हूँ
,,बच्चों की बात
का क्या बुरा
मान ना ! बच्चे हैं
थोड़ी देर लड़ ज़ाते हैं
अगले ही पल फिर साथ
खेलने लगते हैं
!
सीमा - मैं जा
रही हूँ भाभी
,,भईया से कह देना
कि इनका
फ़ोन आ गया
था इसलिये जाना
पड़ा !
तभी सीमा की
सास ,,कविता की
माँ चिल्लाती हुई
आयी ! ये कैसा शोर हो
रहा हैं आंगन
में !
कविता - माँ देखो
,,भाभी ने क्या सिखाया हैं
अनुज को ,,छह साल का
हैं ,मार पीट करता हैं
जवाब देता हैं
,,कहता हैं मेरा
घर हैं ,,आज
तो इसने
मेरे विराट को
धक्का दिया, वो
गिर गया ! मुझे
भी गुस्सा आ
गया ! मैने भी आज इसे
मार मार कर सबक सीखा
दिया ,,देखो कैसे
सुबक रहा हैं मेरा
लाल ! मैं
जा रही हूँ
माँ ,,अब कभी नहीं आऊंगी
,,अब आप भी मत बुलाना
मुझे ! कविता ननद
रानी झूठे आंसू
बहाते हुए बोली
!
सासू माँ - मत
रो मेरी गुड़िया
,,जब से ये कर्म जली
आयी हैं ,,मेरे
और तेरे भाई
के भाग फूट गए ! एक
लड़का भी नहीं संभाला जाता
इस पर ! मायके
से जैसे संस्कार
मिले हैं वैसे
ही दिखायेगी यहाँ
! तू कहीं नहीं
जायेगी ,,जायेगी तो
आज ये घर से ! आने
दो विक्रम को
घर ! कल ही छोड़ आयेगा
इसे !
सीमा - मम्मी जी
,,मेरी क्या गलती
इसमे ! बच्चें हैं
,,कुछ भी बोल ज़ाते हैं
! आप घर में कलेश क्यूँ
करवा रही हैं
! मैं माफी मांगती
हूँ दीदी से !
सासू माँ - तू
चुप रह अब ,,जाके अपना
काम कर ! और रात में
ही अपना सामान
रख लेना ! अब
इस घर में आने की
ज़रूरत नहीं !
विक्रम के आते
ही कविता ने
माँ को इशारा
किया ,,माँ भईया
आ गए ! और धीरे से
अंदर वाले कमरे
में सरक गयी ननद रानी
! परदे के पीछे दुबक
कर आज
परमानन्द की अनुभूति
करना चाहती थी!
इसी दिन का तो ननद
रानी बेसबरी से
इंतजार कर रही थी ! कब
भईया भाभी को खरी खोटी
सुनाये ! बचपन से
ही ननद रानी
ऐसे ही स्वभाव
की थी ! किसी
को बेइज्जत करने
का मौका नहीं
छोड़ती थी !ना ही किसी
से उसकी बनती
थी ! घमंड तो सातवें आसमान
पर था उसका
! इसलिये एकलौता लड़का
देखकर माँ पिता
जी ने रंजीत
से ब्याह
दिया !
सासु माँ - सुन
विक्रम ,तू संभाल
ले सीमा को
!
विक्रम - (पानी पीते
हुए )- क्यूँ क्या
हो गया माँ
! अब क्या कर दिया सीमा
ने !
सासु माँ - तेरी
बहन कुछ दिनों
के लिए आती हैं घर
में ,,उसे चैन से जीने
नहीं देती ! हमेशा
रसोई से बरतन पटकने की
आवाज आती रहती
हैं जैसे सारा
गुस्सा हम माँ बेटी पर
ही निकाल रही
हो ! खाना भी ऐसे नाक
मुंह बनाकर देती
हैं ,,जैसे हम इसके दुश्मन
हो ! रोटी भी पूछकर बनाती
हैं कि कितनी
खाओगे आप लोग !
आज तो हद ही कर
दी इसने ! फिर
पूरा किस्सा सासु
माँ ने नमक मिर्च लगाकर
बताया !
विक्रम - अच्छा ऐसी
बात हैं माँ
,,आज तो मैं फैसला
कर के रहूँगा
इसका ! विक्रम ने
जोर से सीमा को आवाज
लगायी ! दोनों माँ
बेटी के मन में ल्ड्डू
फूट रहे थे !
सीमा दौड़ती हुई सकपकाती
हुई आयी
! चुपचाप से नीचे
मुंह करके खड़ी
हो गयी !
विक्रम - सीमा ये
माँ क्या बोल
रही हैं ! और
माँ क्या बोला
आपने सीमा रोटी
गिनकर बनाती हैं
,,क्या आप नहीं जानती वो
क्यूँ करती हैं
ऐसा ! आप ही उस पर
चिल्लाती आयी हैं
जब भी एक रोटी
भी ज्यादा बन जाती
हैं ! बेचारी कई
दिनों से तो आपको ना
पता चले ,,बासी
रोटी छिपाकर रख
देती हैं !कितनी
बार मैने चुपके
से खाते हुए
देखा है उसे !
पूछों तो कहती हैं अन्न
का अपमान होता
हैं ! आपको पता
हैं अनुज के पेपर
चल रहे हैं
! मेरे पास तो टाइम होता
नहीं इसे पढ़ाने
का ! सीमा ही इसका सब
देखती हैं ! क्या
कहा आपने नाक
मुंह बनाकर खाना
देती हैं ! जब
भी आप लोगों
को रोटी देने
आती हैं तो आप लोग
इसी की बुराई
कर रहे होते
हो और उसके आते ही
चुप हो जाते हो ! क्या
उसे पता नहीं
चलता ! उसे नमक,
चम्मच ,एक एक गरम रोटी
के लिए पचास
चक्कर लगवाते हो
! क्या कविता खुद
खाना नहीं ला सकती रसोई
से ! भाभी हैं
उसकी क्या थोड़ा
इंतजार करके उसके
साथ खाना नहीं
खा सकती ! भरे
पूरे परिवार से
आयी हैं ,,कभी
अकेले खाना नहीं
खाया इसने ! दिन
में तो बस एक आध
रोटी ही खा के रह
जाती हैं ! रात
में मेरा इंतजार करती
हैं ,,अगर मैं ऑफिस से
खाकर आता हूँ तो उस
दिन भी ऐसे ही दुखी
सी हो जाती हैं ! कभी
आपने पूछा हैं
सीमा तूने खाना
खाया ,तेरी तबियत
कैसी हैं ! तो
किस बात का सन्युक्त परिवार ! बेटे
का ख्याल ,,पापा
की दवाई का ख्याल
,तुम्हारे घूटनों की
मालिश ,मेरे हर ज़रुरत के
सामान को तुरंत
हाजिर करना ये सब
कौन करता हैं
! आप तीर्थ स्थान
पर किसके सहारे
घर छोड़कर जाती हैं
! जवाब दिजिये ! कविता
को कुछ भी देती हैं
कभी उसे य़ा मुझे दिखाया
हैं क्या दे रही हैं
! वो भी घर की बहू
हैं और मै बेटा ! आप
कविता क स्वभाव
तो बचपन से जानती हैं
! वो हर बात बढ़ा चढ़ाकर
बोलती हैं ! और
आप विश्वास कर
लेती हैं ! कभी
घर की बहू की भी
सुन लिया कीजिये
! वैसे तो अब सुनने की
ज़रुरत नहीं पड़ेगी
! बहुत हुआ समझौता
! आज तब समझौता
ही करती आयी
हैं मेरी कविता
!! उफ़ तक नहीं की बेचारी
ने ! इतनी पढ़ी
लिखी हैं फिर भी घर
में नौकरानी जैसा
हाल बना दिया
हैं उसका ! इसमे
मै भी
बराबर का कुसुरवार
हूँ ! पर अब नहीं ! कहते
हैं ,,बच्चें बूड्ढे
माँ बाप को बुढ़ापे में
अकेला छोड़ ज़ाते
हैं ! हर बार गलती बच्चों
की नहीं होती
कई बार गलती
माँ बाप की भी
होती हैं ! बच्चों
को मजबूर कर
देते हैं घर छोड़ने पर
! समझौता दोनों तरफ
से होता हैं
माँ तब घर चलते हैं
! हम चलते हैं
माँ ,,आपकी सयानी
बेटी हैं ना घर के
सारे काम करने
के लिए !
सीमा अपने पति
के इस बदले रुप
को निहारती ही
रह गयी ! उसके
आंसू रुकने का
नाम नहीं ले रहे थे!
आज उसे उसके
समझौते का फल मिल चुका
था !
सीमा और विक्रम
घर छोड़कर किराये
के मकान में
रहने लगे ! जाते
हैं घर भी कभी कभी
तीज त्योहारों पर
!
साथियों ,,जो समझौता
आप लोगों के
लिए हानिकारक हो
उसे मत कीजिये
! जीवन एक बार मिलता हैं
,,खुलकर जी लिजिये
!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें