खुद्दारी
मैं रोजगार लेने घर छोड़कर
निकला हूं,,
किसी का रोजगार छीन कर पाप कमाने नहीं।।
टेलरिंग का हुनर
उसके खून मे स्वयं ही
आ गया था अपने पिता
की वजह से पर विरासत
में मिली ग़रीबी
अब आगे झेली
नही जा रही थी...
पिता ने कभी
मुम्बई में किसी
बड़ी दुकान पर
काम किया था पर गांव
के जमीनी झगडें
ने पलट कर उसे गांव
से वापस जोड
दिया ....और फिर
वही थोडा है थोडे की
जरूरत है वाली कहानी.....
गांव छोटा सा
है यहां हुनर
की क्या कद्र
होती.... और ऊपर
से वही था परिवार में
पिता के बाद घर का
बडा....
परिवार मे वृद्ध
माता -पिता छोटी
बहन सहित उसकी
पत्नी और दो बच्चे....
आखिर उसने हिम्मत
बटोरी...और सुबह की बस
पकड़ वह दिल्ली
आ पहुंचा.... जहां
उसने एक गुरुद्वारे
में शरण ली....वहां रहने
और खाने के साथ प्यार
तो मिला ही साथ मे
एक श्रद्धालु के
जरिए एक रैडिमेड
कपड़े बनाने वाली
फैक्ट्री का पता
भी मिल गया....
हिम्मत करके आखिर
वहां तक पहुंच
ही गया....
वह उस बड़ी
फैक्ट्री बिल्डिंग को देख पहले तो
हिचका फिर साहस
बटोर वह मुख्यद्वार
से भीतर चला
गया....
“ क्या मुझे यहां
काम मिल सकता
है सर जी...
उसने मैनेजर की
कुर्सी पर बैठे उस कुछ
भारी बदन वाले
सज्जन से पूछा...
वह झुका हुआ
किसी रजिस्टर पर
कुछ दर्ज करने
में व्यस्त था....
क्या काम जानते
हो.... मैनेजर के
पास कुर्सी पर
बैठे सूट -बूट
वाले आदमी ने उससे पहले
ही उस पर सवाल दागा....
जी टेलरिंग....
सूट -बूट वाला
आदमी शायद मालिक
था उसने सर से पांव
तक उसे देखा
और फिर पूछा....तुम्हारा नाम ....
जी.... राजकुमार..... राजू कहते
है घर परिवार
में सभी प्यार
से....
भाई....राजकुमार.... मतलब राजूभाई
पहले तुम्हारी टेंलरिंग का
इम्तिहान होगा...फिर
तुम्हें काम दे सकता हूं.....बोलो...दोगे...
जी ज़रूर ....बस सिर्फ़
यह तो हुनर है अपने
पास...
राजकुमार ने सूखी आँखो में
भरे आत्मविश्वास से
कहा...
सेठ ने नौकर
से कह कर भीतर से
एक लहंगा मंगवाया..
देखो राजू भाई....यह लहंगा
बेहद क़ीमती है
हमारे एक्सपर्ट टेलर
ने इसे सिलने
में कुछ ऐसी गलती की
है ...की इसे पहनते वक़्त...
यह इसका ख़ास
डिज़ाइन साइड की तरफ़ चला
जाता है...
क्या तुम इसे
खोल कर सैट कर सकते
हो...अगर हां तो तुम्हारी
नौकरी पक्की...
जी.... मुझे मौक़ा
दे... मैं कोशिश
कर देखता हूं...
हां.....कर सकते
हो तो हाथ लगाना...
बहुत महंगा लहंगा
है हमारे वाला
लहंगा एक्सपर्ट तो
अपने हाथ खड़े
कर गया....वैसे
कितना वक़्त लोगे...
जी....सिलाई खोलकर
....यही दो घंटे....
ठीक है अंदर
साथ वाले कमरे
में मशीन पर बैठ जाओ...
पूरे तीन घंटे
देता हूँ तुम्हे...
ठीक है....
राजकुमार ने अपने
मुंह से कुछ नही कहा
बस लहंगा उठाया
और कमरे में
मशीन पर जा बैठा...
अभी सिर्फ़ एक
ही घंटा बीता
था वह उस भारी लहंगे
को उठाए बाहर
निकल आया ....
क्या हो गया
.... सेठ ने हैरानी
से उसकी तरफ़
देखते पूछा...
जवाब में उसने
लहंगा सामने मेज
पर ला टिकाया...
सेठ ने उसे
उलट - पलट देखा
और फिर पैक करवाकर बाइक
पर एक लड़के
को उस लहंगे
की मालकिन तक
पहुंचाने का आदेश
दिया....
और कुर्सी पर
बैठ कर चाय पीने लगा
अभी उसने चाय
खत्म ही की थी की
सेठ को फ़ोन आया कि
लहंगे की फ़िटिंग
बिलकुल सही थी
...
मोबाइल रखते ही
सेठ की आँखों
में उसके लिए
इज़्ज़त और कद्र बढ़ गई
थी...
घर कहां है
आपका राजू भाई....
जी.... मैं तो
लुधियाना के साधारण
गांव से हूं यहां गुरुद्वारे
मे रह रहा हूं....राजकुमार
ने बताया...
राजू भाई....आप
परसों से काम पर आ
जाओ...
25 हज़ार महीना और
रहने खाने का खर्च भी
हमारा होगा ....कहो....मंज़ूर है....
जी 25 हजार....इतने में
तो अम्मा बाबूजी
छुटकी की पढाई
....घरवाली बच्चों सहित
सबका भरणपोषण अच्छे
से हो जाएगा
.....शुक्र है प्रभु
तुमहारा ....
उसकी आँखों में
सुनहरी चमक थी
....
मगर सेठजी परसों
क्यो....आज या कल से
ही क्यों नही
राजकुमार ने हैरानी
से सवाल पूछा...
भाई राजकुमार जी.... ऐसा
है कि कल हम अपने
पुराने वाले टेलर
को जवाब देकर
उसका हिसाब कर
देंगे... सेठ ने
बताया ।
क्या.....आप दोनों
को नहीं रख सकते ...राजकुमार ने
सेठ से पूछा....
नही राजू भाई
हमारे पास एक टेलर की
ही जगह है...सेठ ने
बताया...
फिर तो सेठ
जी मुझे माफ
करना में काम नहीं कर
पाऊंगा .....कुर्सी
से उठ खड़े हो राजकुमार
ने कहा...
क्यो...क्या हुआ
राजू भाई.... हैरानी
से पूछा सेठ
ने...
मैं रोज़गार लेने घर छोड़ कर
निकला हूं.....
किसी का रोजगार
छीन कर पाप कमाने नही...
सेठ जी ...आखिर
घर में जैसे
मेरे छोटे -छोटे
बच्चे है तो उसके भी
होगे.....अच्छा जी
राम -राम...
इतना कह वह
गेट खोल झटके
से बाहर निकल
आया...
सेठ और साथ
खडा मैनेजर भी
राजूभाई की खुद्दारी
पर नतमस्तक थे....!!
सेठ ने उसे
वापस बुलाया और
गले लगा लिया
बोला आप जैसे सच्चे इंसान
की हमे बहुत
जरूरत है आप यही काम
करेंगे आपकी हर शर्त मंजूर
है।
राजू भाई की
आंखों से आंसू टपक पड़े
उसने ऊपर देखकर
हाथ जोड़कर अपने
स्वर्गवासी पिता को
नमन किया वे सदैव
कहते थे कि अपने फायदे
के लिए किसी
के पेट पर लात मत
मारना राजू बेटा
।।
वाह बहेतरीन
जवाब देंहटाएंशानदार...अनुकरणीय...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 15 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
गरीबी और वेरोजगारी साथ साथ चलती है ... वेरोजगार इंसान धरती पर बोझ के समान है ज़नाब ... / /
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन एवं विषय ।
सुंदर, सार्थक और अनुकरणीय शिक्षाप्रद कहानी
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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