अटूट विश्वास

 ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास......



एक आस्तिक(जो ईश्वर को मानते है ) और दुसरे नास्तिक(जो ईश्वर को नहीं मानते है।) अगर देखा जाये तो दुनिया में दो प्रकार के लोग होते है – नास्तिक होना भी तब तक बुरा नही है जब तक कि आप दुसरे की भावनाओं को ठेस ना पहुचायें। आस्तिक लोगों में एक अलग ही प्रकार की शक्ति होती है, जिसे श्रृद्धा और विश्वास की शक्ति कहा जा सकता है।


फिर चाहे वो किसी भी ईश्वर, मजहब या देवी – देवता को मानते हो । अगर आपके पास ईश्वर विश्वास की ताकत है तो आप इस दुनिया के सबसे खुशहाल व्यक्ति हो सकते है। क्योंकि जिसको ईश्वर में विश्वास होता है, उसी को ईश्वर की प्रेरणा होती है । इसे हम एक छोटी सी कहानी से समझेंगे –


समझे आत्मा का संकेत – जो की ईश्वर की प्रेरणा है।

एक बार एक बूढी माता माथे पर कपड़े व गहनों की गठरी और साथ में छोटी सी बेटी को लेकर एक गाँव से दुसरे गाँव जा रही थी। चलते चलते वह कुछ ही दूर पहुँची होगी कि पीछे से एक घुड़सवार आया।

घुड़सवार को अकेला देख बूढी माता ख़ुशी से बोली – “ बेटा ! आज बहुत धुप है और गर्मी भी बहुत है, यदि तुझे कोई आपत्ति ना हो तो इस गठरी और मेरी बेटी को अपने घोड़े पर बिठाकर अगले गाँव छोड़ देगा ?”

घुड़सवार बोला – “ ना माई ! इतना वजन मेरा घोड़ा नहीं संभाल पायेगा।” इतना कहकर घुड़सवार आगे बढ़ गया।


कुछ दूर जाने के बाद घुड़सवार के मन में कपट आया। उसने सोचा – “ बूढी माता की बेटी बड़ी ही सुन्दर है और हो ना हो उस गठरी में कुछ कीमती सामान होगा। अगर मैं उसे लेकर कहीं बेंच भी दूँ तो बुढ़िया मेरा क्या बिगाड़ लेगी।” ऐसा सोचकर वह वही पर ठहर गया।

इधर बुढ़िया के मन में भी प्रेरणा हुई कि “ रे मुरख ! वो घुड़सवार क्या तेरा रिश्तेदार लगता है जो उसके साथ अपनी फुल सी बेटी और गहनों की गठरी देने लगी थी। वो तो भगवान का शुक्र है जो उसने मना कर दिया। वरना वो कहीं लेकर चला जाता तो ....राम राम।” यह सोचकर बुढ़िया की रूह कांप गई।


तभी बुढ़िया और उसकी बेटी वहाँ पहुँच गई जहाँ घुड़सवार उनका इंतजार कर रहा था। घुड़सवार बोला – “ माई ! धुप बहुत है, ला दे अपनी गठरी और बिठा दे अपनी बेटी को।”


बुढ़िया बोली – “ नहीं ! तू जा हम चले आएंगे।”

घुड़सवार बोला – “ क्या हुआ माई, अब मन कैसे बदल गया ?”

बुढ़िया बोली – “ वैसे ही जैसे तेरा मन बदल गया।”

यह सुनकर घुड़सवार शर्मिंदा होकर वहाँ से चल दिया।

शिक्षा – ईश्वर अपने विश्वास करने वालों को हमेशा अच्छी प्रेरणा देता है। हमेशा उन्हें सजग करता है और ईश्वर केवल प्रेरणा ही नही देता, आवश्यकता पड़ने पर सहायता भी करता है । अब आप पूछेंगे कैसे ? तो इसके लिए यह कहानी पढ़िए –


ईश्वर ने की सहायता कैसे महसूस होती हैं।

एक बार की बात है, एक गरीब महिला ईश्वर की शक्ति पर अटूट विश्वास करती थी। वह जैसे तैसे गरीबी में अपना गुजारा कर रही थी। तभी परिस्थियाँ कुछ ऐसी विकट बनी कि उसे कोई काम नहीं मिला। अब खाने के भी लाले पड़ने लगे। थक हारकर रेडियो पर उनसे ईश्वर से मदद की गुहार लगाई कि ईश्वर उसकी सहायता करें।

यह प्रसारण एक घमंडी नास्तिक सेठ ने सुन लिया। उसने इस गरीब महिला का मजाक उड़ाने की सोची कि उसका ईश्वर विश्वास डिग जाये। उस सेठ ने अपने एक नौकर को बहुत सारा राशन का सामान देकर उस गरीब महिला के घर भेजा और कहा कि “ वो पूछे कि किसने भेजा है तो कहना शैतान ने भेजा है।”

नौकर सारा सामान लेकर गरीब महिला के घर गया और सब सामान महिला के घर में रखवा दिया। अब महिला ने पूछा कि किसने भेजा है ?

तो नौकर बोला – “ शैतान ने भेजा है।”

तब महिला ने जो कहा वो सुनकर नौकर के होश उड़ गये, आपको पता है महिला ने क्या कहा ?

महिला बोली – “ मुझे मेरे ईश्वर पर पूरा भरोसा है, जब वो आदेश देता देता है तो शैतान को भी उसके आदेश का पालन करना पड़ता है।”

अब बताओ, महिला का विश्वास डिगा या और दृढ हो गया।


शिक्षा – इसलिए हमें हमेशा ईश्वर पर भरोसा करके कर्म करना चाहिए। 


जय जय श्रीराधे

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