जिंदगी की तलाश


 

          जिंदगी की तलाश

 

मैं पेशे से वकील हूं।

 

जनवरी का महीना होगा। ठंडी का मौसम था। रविवार की छुट्टी भी थी।

मेरे ताईद ने बताया कि एक मुअक्कील मिलना चाहता है। अक्सर मैं छुट्टी के दिन किसी से नही मिलती जाने क्यूं उस व्यक्ति से मिलना था सो अपने ऑफिस में बुला लिया।

मनोज नाम था उसका। शक्ल सूरत से सीधा साधा,निहायत शरीफ किस्म का लगभग पैतीस चालीस की उम्र का था।

उससे जब मैने केस के सिलसिले में पूछा तो वह संकोच करने लगा। मैने उसे समझाया कि डॉक्टर और वकील से कभी कुछ छुपाना नहीं चाहिए।

थोड़ी देर में उसने अपने आप को संतुलित किया और हिचकिचाते हुए ही धीरे धीरे कहने लगा।

" मेरी शादी आठ वर्ष पहले हुई थी। अरेंज मैरेज था। पत्नी खूबसूरत है। हमारा एक बेटा भी है। पत्नी बहुत अच्छी है। मेरा,मेरे माता,पिता,भाई बहन सब का बहुत सम्मान करती है। मेरा तथा मेरे घर वालों का मानना है कि इतनी कुलीन और शरीफ लड़की,किस्मत वालों को ही मिलती है "

इतना बोलने के बाद वह चुप हो गया।

मैने उसे खामोश हो जाने के बारे में पूछा तो सकुचाते हुए बोला " मैं उसे तलाक देना चाहता हूं "

इस बार मेरे चौकने की बारी थी। मैने पूछा " इतनी अच्छी पत्नी,मां,बहु को तलाक...?

वह जमीन की ओर नजरें गड़ाए हुए कहा " वह अपनी शादी शुदा जीवन से खुश नहीं है। मुझे लगता है कि मेरे साथ वह कैद की सजा भुगत रही है। शादी के बाद मैने दो तीन बार ही उसे हसते या मुस्कुराते देखा है। वह हमेशा खामोश,गुमसुम और उदास रहती है। मैं उसकी उदासी या खामोशी के बारे में लाख पूछता रहा मगर वह कभी कुछ नहीं बताती। वह हमेशा सुन्न सी रहती है। जो काम बोलो वह चुप चाप कर देती है। कभी कोई शिकवा शिकायत नहीं करती। मुझसे उसकी यह खामोशी और निराशा बर्दास्त नही होती। अगर वह मेरे साथ खुश नहीं है तो मैं क्यों उसकी जिंदगी को बरबाद करने का गुनहगार बनूं " एक सांस में इतना बोलने के बाद वह खामोश हो गया।

मेरी जिज्ञासा बढ़ी तो पूछा " आप अपनी पत्नी को प्यार करते हैं..?

उसने झट से कहा " जान से भी ज्यादा। मगर मेरे प्यार का उस पर कोई असर ही नहीं होता। बस यही दुख मुझे सताता रहता है "

" आपने अपनी पत्नी के इस व्यवहार या उत्साहविहीन होने के कारणों को जानने की कभी कोशिश नहीं की..?

मेरे इस सवाल पर उसके चेहरे पर घोर दुविधा दिखने लगी। वह बोलना चाह रहा था,मगर बोल नहीं पा रहा था। मैने उसे यकीन दिलाया कि वह खुल कर मुझसे बात कर सकता है।

मैने टेबल पर रखे पानी के गिलाको उसकी ओर बढ़ा दिया। उसने एक ही सां में पूरा गिलास खत्म कर दिया।

थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने धीरे धीरे,रुक रुक कर कहना शुरू किया।

" शादी के एक वर्ष के बाद जब वह प्रेगनेंट हुई तब उसे मायके छोड़ आया था। जब तक डिलीवरी नहीं हुई थी तब तक मैं कई बार उससे मिलने जाता रहा। र्भावस्था में लड़किया खुश होती हैं,मगर उसके रवैए में कोई बदलाव नहीं आया। वह अपने मां,बाप के पास भी चुप चुप ही रहती। उसके घर वाले भी उसकी यह हालत देख कर हैरान थे। उनका कहना था कि शादी से पहले वह ऐसी नहीं थी। तब वह हमेशा खुश रहने वाली,स्वछंद और दिलेर लड़की थी। उसके घर वालों की बातों से मुझे धीरे धीरे जानकारी मिली की,शादी तय होते ही वह खामोश हो गई थी। घर वालों ने समझा कि शादी के बाद माता,पिता से दूर होने की सोच कर वह चुप चुप सी हो गई है।

मैं जब भी मायके में उससे मिलने जाता तो उसकी एक खास सहेली  थी जो हमेशा उसके साथ होती थी,उससे मेरी अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो गई थी।

कभी कभी दोनो सहेलियां आपस में कुछ बातें करती होती और मैं अचानक कमरे में जाता तो दोनो खामोश हो जाती। मुझे लगता कि कोई बात है,जो मुझसे छुपाना चाहती थी। एक दिन मैंने उस सहेली को अकेले में रोक कर जबरन जानने की कोशिश की तो उसने कम शब्दों में जो कहा उसके विस्तार में जाना मेरी मजबूरी हो गई। इस बार मैं कुछ ज्यादा दिन तक ठहर गया। आपको तो मालूम ही होगा कि हर परिवार में कुछ शुभचिंतक के साथ साथ भेदिया भी होते हैं। मेरे ठहर जाने के कारण मुझे कुछ जानकारी मिली जो मेरे लिए आघात से कम नहीं थी "

 

वह अपना बयान दे रहा था मगर बेहद ही होशियारी से। क्योंकि इतनी बात बताते हुए उसने कभी भी अपनी पत्नी का नाम,सहेली का नाम,गांव का नाम कुछ भी नहीं बताया था। इससे मुझे लग थी कि मेरा मुअक्क्किल निहायत ही होशियार या फिर किसी मर्यादा के तहत सब छुपाने का प्रयास कर रहा है।

मैने भी उससे पूछा नहीं क्योंकि आखिर में उसे सब बताना ही है,जब उसे मुझ पर यकीन हो जाएगा।

थोड़ी देर खामोश रहने के बाद उसने फिर से बताना शुरू किया....

" कई लोगों की दबी छुपी बातों से मुझे जानकारी मिली कि मेरी पत्नी अपने स्कूल और कॉलेज के दिनो मे किसी को पसंद करती थी। लड़का किसी साधारण परिवार का था जबकि मेरे ससुराल वाले ऊंची जाती और संपन्न लोग थे। उस लड़के और लड़की वालों में जमीन आसमान का फर्क था। मेरी पत्नी एक शरीफ लड़की थी तथा मां बाप के विरुद्ध जाने की बात सोच भी नहीं सकती थी। उन दोनो के प्यार की बातें एक दिन मेरे ससुर जी को मालूम हो गया। वह आग बबूला हो गए। उन्होंने आनन फानन में मुझसे शादी तय कर दी और यह निर्णय ले लिया कि उस लड़के को जान से मरवा देंगे। मेरी पत्नी को जब यह मालूम हुआ तो उसने लड़के को यह कह कर कुछ दिनो के लिए गांव छोड़ देने पर विवश कर दिया कि वह उसके लौटने तक उसका इंतजार करेगी,जबकि वह जानती थी कि लड़के के गैरहाजरी में उसकी शादी कर दी जाएगी। मेरे पिता जी और ससुर जी की पहले से पहचान थी,इसलिए जल्द शादी करने का निर्णय ले लिया गया। हमारी शादी हो गई।

उसकी सहेली ने बताया कि हमारी शादी के कुछ दिनो बाद लड़का लौट कर गांव आया तब उसे शादी की जानकारी मिलते ही तमाशा हो गया। लड़के को बताया गया कि  मेरी पत्नी ने उसे धोखा दिया है। यह जान कर वह मानसिक तौर पर विचलित रहने लगा। मेरे ससुर जी का उस गांव में खौफ था। उन्होंने उस लड़के के माता,पिता को लड़के के साथ गांव छोड़ देने पर विवश कर दिया। उसके बाद उन लोगों का कुछ भी पता नहीं चला। मेरी पत्नी की सहेली ने मेरी पत्नी को फोन पर उस लड़के की हालत के बारे में शादी के तुरंत बाद ही बता दिया। उसके बाद ही मेरी पत्नी की मानसिक हालत ऐसी हो गई "

मुवक्किल की बात सुन कर मेरे माथे पर पसीना आने लगा था। इस बार मैंने पूरा एक गिलास पानी पीयतब आगे सुनने की हिम्मत जुटाई।

मैने उससे पूछा " क्या आपने इस बारे में अपनी पत्नी से जानकारी लेने की कोशिश नहीं की..?"

उसने कहा " हां,एक दिन मैं तंग कर उससे पूछ लिया तो उसने सीधा सा जवाब दिया कि उसकी सहेली ने जो भी बताया है,वह सच है। मैं उसकी बेबाकी या साफ दिली से हैरान रह गया। मेरी पत्नी ने बताया कि मेरे कारण ही उसके प्रेमी की जिंदगी बरबाद हो गई। वह मानसिक तौर से प्रताड़ित हो गया। मैं उसी का प्रायश्चित कर रही हूं। अगर उसकी जिंदगी मैने बरबाद की है तो मैं कैसे बा रह सकती हूं...?

बात जब खुल गई तो हममें कोई पर्दा नहीं रहा। इतना सब होने के बाद भी वह तो पत्नी धर्म निभा रही है, जबकि मैं खुद को उसका गुनहगार समझ रहा हूं। जब वह आठ वर्षों में मन से मेरी नहीं हो सकी है तो मात्र तन को अपने कैद में रख कर क्या करूंगा। इसी लिए मैने निर्णय किया है कि अब तलाक दे कर उसे उसके प्रेमी से मिला दूंगा "

 

मनोज ने इतनी बात बताई और अपना फोन नम्बर,पता लिख कर दो दिनों के लिए बाहर जाने और लौट कर मिलने की बात कह कर चला गया।

 

रात भर मेरे कानों में उसकी एक एक बात गूंज रही थी। मैं चाह कर भी सो नही पा रही थी। उसकी कहानी ने मुझे बेचैन कर दिया था। मैं उससे बहुत कुछ पूछना चाह रही थी। बहुत सारी बातें जानना चाहती थी,मगर जाने कौन सी शक्ति मुझे ऐसा करने से रोक रही थी। मेरा उस मुवक्किल से क्या वास्ता था,यह सोचते सोचते कब सुबह हो गई,पता ही नहीं चला।

 

सुबह कोर्ट जाने के बजाए मैं मनोज के घर के पते पर ड़ी थी। उसके मेन गेट के बेल को बजाने से पहले मेरी उंगलियां कांप रही थीं।

 

दो दिनों बाद मनोज फिर मुझसे मिला। बहुत खुश था वह। उसके हाथ में मिठाई का बड़ा सा डब्बा और फूलों का गुलदस्ता था। उसने मुझे मिठाई खिलाने की कोशिश की मगर मुझसे खाया नहीं गया। उसने बताया कि उसके टूर से लौटने के बाद पत्नी बिलकुल बदल सी गई है। उसके चेहरे पर अब थोड़ा भी तनाव नहीं। उसने अपने पुराने रवैए के लिए खेद भी व्यक्त किया। अभी यहां से लौटने के बाद उसने शॉपिंग की फरमाइश भी की है। मैम,मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि दो दिनों के लिए मैं शहर से बाहर क्या गया,हमारी दुनिया ही बदल गई "

मैने मनोज को गौर से देखा। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मैने उससे पूछा " तो फिर आपके तलाक़ का क्या करूं...?

उसने झटके से कहा " नहीं वकील साहिबा,अब तो हरगिज नहीं। मैं तो यह सोच कर परेशान था कि अगर दो दिन पहले आपने तलाक का मुकदमा दायर कर दिया होता,तो क्या होता..?"

मैं मनोज को देख कर मुस्कुरा दी।

मैने थोड़ा सकुचाते हुए मनोज से पूछा " इस शहर में तो बहुत से वकील हैं,फिर आपने मुझे ही क्यों चुना...?

उसने जवाब दिया " सुना था,आप हमारे ससुराल के आस पास की हैं,इस लिए मेरे केस को समझने में सहूलियत होगी "

मैं उसे गौर से देखती रही और वह खुशी खुशी चला गया।

मेरे दिमाग में पिछले दिनों की बातें आने लगी। जब मैं मनोज के घर गई थी और दरवाजा उसकी पत्नी ने खोला था और और मैंने उसे डायरेक्ट बात की थी कि आपकी खुशी के लिए आपके पति आपसे तलाक लेना चाहते हैं तो अगर आप ऐसा नहीं चाहती हैं तो मुझे खुलकर बताइए की प्रॉब्लम कहां है और यह कैसे दूर होगी और उसकी प्रॉब्लम जानने की कोशिश की थी।

फिर जब मैंने सुना कि सारी प्रॉब्लम उसके पहले प्यार की वजह से है। इनकी वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हुई इसलिए अभी ये अपनी जिंदगी बर्बाद करने पर तुली हैं। तब मैंने उनसे उनके प्यार का नाम पूछा,, जैसे ही उन्होंने नाम बताया मुझे याद आया कि अरे यह तो मेरे बगल के गांव का ही लड़का है। फिर मैंने अपने एक परिचित से उसका नंबर निकलवाया और उससे बात की। वह लड़का बहुत अच्छी तरह सेटल हो चुका था और एक सरकारी ऑफिस में क्लर्क का काम कर रहा था ।उसने शादी भी कर ली थी और उसके दो बच्चे भी थे। वह सुखद जिंदगी जी रहा था। जैसे ही यह बात मनोज की पत्नी ने सुनी उसके मन को थोड़ा सुकून मिला और उसके जीवन का पश्चाताप समाप्त हो गया और वह रोने लगी। उसने मुझे मनोज के साथ की हुई सारी चीजें बताईं और पश्चाताप करने लगी और बोली जब वे दो दिन बाद आएंगे तो उन्हें अपनी पत्नी का नया रूप दिखेगा।

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