कृपा महाकालेश्वर बाबा की


 कहानी है मेरी उज्जैन यात्रा की...(२०१५)

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कृपा महाकालेश्वर बाबा की....

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वैसे तो मुझे कई बार भगवान का साक्षात्कार हुआ है उसमें से एक किस्सा आपको बताती हूं,,

शालीमार भुज ट्रेन से जाना था लेकिन टिकट कंफर्म नहीं हुई थी।

बेटा मेरा छोटा था लोगों ने कहा छोड़ दो टिकट कंफर्म नहीं हुई है मत जाओ। लेकिन मैं तो मैं हूं।

मैंने कहा,,

 बाबा ने बुलाया है तो वही इंतजाम करेंगे और सब के विरोध के बावजूद मैं स्टेशन चली आई।

 ट्रेन राइट टाइम थी और ट्रेन स्टेशन पर लगी हुई थी। मैं मेरे पति और बेटा ट्रेन में चढ़ गए और एक सीट पर बैठ गए।

मेरे पति ने टीटी से बात की,, टीटी ने कहा एक भी सीट खाली नहीं है।

मेरे पति ने उसे पैसे की भी बात की लेकिन ,,

उसने कहा कि अगर सीट रहती तो पैसे वाली कोई बात ही नहीं थी,,

मैं आपको वैसे ही दे देता। लेकिन चलिए इस लोअर बर्थ पर आप लोग बैठिए ,, अगले स्टेशन से इसके यात्री चढ़ेंगे।

हम लोग थोड़ी देर के लिए खुश हो गए कि चलो कुछ देर के लिए ही सही सीट तो मिली और आप लोगों को बता दूं कि ,,

बेटा छोटा होने के कारण हम लोग हमेशा लोअर बर्थ ही लेते थे और

हमें लोअर बर्थ ही मिली।

 करीब रात के 11:30 में ट्रेन थी और इससे 1 घंटे बाद आने वाले स्टेशन से उस सीट के यात्री चढ़ने वाले थे।

 लेकिन अगला स्टेशन आया… उसका अगला स्टेशन आया….

 और उसका भी अगला स्टेशन आया …..

और वे यात्री नहीं चढ़े। हमें दो सीट की जरूरत थी और हमें दो सीट मिली दोनों लोअर बर्थ। रात अच्छे से गुजर गई दूसरा दिन भी अच्छे से गुजर गया और रात को करीब 12:30 बजे हम लोग सकुशल उज्जैन पहुंच गए।

इसे कहते हैं,,

 महाकालेश्वर बाबा की कृपा।


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