रिश्तो में अच्छाई


 

       रिश्तो में अच्छाई

 

लड़का और लड़की की शादी तो हो चुकी थी..

पर दोनों में बन नहीं रही थी..

पंडित ने कुंडली के *36 गुण* मिला कर शादी का नारियल फोड़वाया था..

पर शादी के साल भर बाद ही चिकचिक शुरू हो गई थी..

 

पत्नी अपने ससुराल वालों के उन अवगुणों का भी पोस्टमार्टम कर लेती..

जिन्हें कोई और देख ही नहीं पाता था..

*लगता था कि अब तलाक तो तब तलाक..*

पूरा घर तबाह होता नज़र रहा था..

सबने कोशिश कर ली कि किसी तरह यह रिश्ता बच जाए..

दो परिवार तबाही के दंश से बच जाएं..

पर सारी कोशिशें व्यर्थ थीं..

 

जो भी घर आता..

*पत्नी अपने पति की ढेरों खामियां गिनाती और कहती कि उसके साथ रहना असम्भव है वो कहती कि इसके साथ तो एक मिनट भी नहीं रहा जा सकता दो बच्चे हो चुके हैं और बच्चों की खातिर किसी तरह ज़िंदगी कट रही है..*

 

उनके कटु रिश्तों की यह कहानी पूरे मुहल्ले में चर्चा का विषय बनी हुई थी..

 

ऐसे में एक दिन एक आदमी सब्जी बेचता हुआ उनके घर पहुंचा..

उस दिन घर में सब्जी नहीं थी

सब्जी वाले,

तुम्हारे पास क्या-क्या सब्जियां हैं

बहन, मेरे पास आलू, बैंगन, टमाटर,  भिंडी और  गोभी है

 

जरा दिखाओ तो सब्जियां कैसी हैं..

सब्जी वाले ने सब्जी की टोकरी नीचे रखी महिला टमाटर देखने लगी..

सब्जी वाले ने कहा,

बहन आप टमाटर मत लो इस टोकरी में जो टमाटर हैं..

उनमें दो चार खराब हो चुके हैं आप आलू ले लो

अरे..

 चाहिए टमाटर तो आलू क्यों ले लूं तुम टमाटर इधर लाओ..

मैं उनमें से जो ठीक हैं उन्हें छांट लूंगी

 

सब्जी वाले ने टमाटर आगे कर दिए..

महिला खराब टमाटरों को किनारे करने लगी..

और अच्छे टमाटर उठाने लगी दो किलो टमाटर हो गया..

फिर उसने भिंडी उठाई

सब्जी वाला फिर बोला..

बहन..

भिंडी भी आपके काम की नहीं इसमें भी कुछ भिंडी खराब हैं..

आप आलू ले लीजिए वो ठीक हैं”..

 

बड़े कमाल के सब्जी वाले हो तुम।

तुम बार-बार कह रहे हो आलू ले लो..

आलू ले लो..

भिंडी टमाटर किसके लिए हैं  मेरे लिए नहीं है क्या

 

मैं सारी सब्जियां बेचता हूं पर बहन..

आपको टमाटर और भिंडी ही चाहिए..

मुझे पता है कि मेरी टोकरी में कुछ टमाटर और कुछ भिंडी खराब हैं..

इसीलिए मैंने आपको मना किया और कोई बात नहीं

 

पर मैं तो अपने हिसाब से अच्छे टमाटर और भिंडियां छांट सकती हूं..

जो ख़राब हैं, उन्हें छोड़ दूंगी..

 मुझे अच्छी सब्जियों की पहचान है

 

बहुत खूब बहन आप अच्छे टमाटर चुनना जानती हैं..

अच्छी भिंडियां चुनना भी जानती हैं..

आपने ख़राब टमाटरों को किनारे कर दिया..

ख़राब भिंडियां भी छांट कर हटा दीं पर..

आप अपने रिश्तों में एक अच्छाई नहीं ढूंढ पा रहीं..

आपको उनमें सिर्फ बुराइयां ही बुराइयां नज़र आती हैं..

 

_*बहन, जैसे आपने टमाटर छांट लिए, भिंडी छांट ली, वैसे ही रिश्तों से अच्छाई को छांटना सीखिए जैसे मेरी टोकरी में कुछ टमाटर ख़राब थे, कुछ भिंडी खराब थीं पर आपने अपने काम लायक छांट लिए, वैसे ही हर आदमी में कुछ कुछ अच्छाई होती है उन्हें छांटना आता, तो आज मुहल्ले भर में आपके ख़राब रिश्तों की चर्चा चल रही होती”*_

 

सब्जी वाला तो चला गया..

पर उस दिन महिला ने रिश्तों को परखने की विद्या सीख ली थी..

 

उस शाम घर में बहुत अच्छी सब्जी बनी..

और सबने मिलकर खुशी से खाई।

 

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