सोच बदलो समाज बदलेगा
मान लो कि आपके गांव में 100-200 घर हैं... जिसमें से 4-5 घर आपसे अच्छे और खूबसूरत हैं... तथा, बाकी के 194 घर आपसे खराब हैं...
लेकिन, आप चाहते हैं कि... उस गांव का सर्वश्रेष्ठ घर आपका ही हो...
तो फिर... आपके पास दो उपाय है...
या तो, आप डायनामाइट लगा कर अपने से अच्छे और खूबसूरत उन चारो-पांचों घर को ढहा दो...
या फिर... अपने घर को पुनर्रचना करके सर्वश्रेष्ठ घर बना लो...
हालांकि... लक्ष्य दोनों तरीकों से उपलब्ध हो जाना है...
लेकिन, इन दोनों तरीकों में एक तरीका रचनात्मक सोच का तरीका है... और, दूसरा विनाशात्मक सोच का...
अरे हाँ... सोच से याद आया कि... मान लो कि... किसी होटल के बाहर बोर्ड पर "शुद्ध वैष्णव होटल" लिखा हो और अंदर टेबल पर मीट- मुर्गा- मछली आदि भी परोसा जाता रहे तो फिर आपकी सोच क्या होगी?
या फिर, एक दूसरे होटल में वैष्णव होटल न लिखा रहे लेकिन वो हमेशा शुद्ध और सात्विक भोजन ही खिलाए तो फिर आपकी सोच क्या होगी?
जाहिर सी बात है कि... आप बाहर लिखे बोर्ड की अपेक्षा खाने की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान दोगे... और, अगर आप सात्विक भोजन पसंद करते हैं तो हमेशा दूसरे वाले होटल में ही जाना पसंद करेंगे...!
यही है सोच का अंतर...!
कुछ लोगों की मान्यता है कि... खाना चाहे जैसा भी मिले लेकिन बोर्ड वैष्णव होटल का लगा रहना चाहिए...
जबकि, मेरा मानना है कि... बोर्ड तो बाद में भी लग जायेगा... पहले खाना पूर्ण सात्विक और शाकाहारी होना चाहिए...
जैसे कि... हिन्दू राष्ट्र को ही ले लेते हैं...
कुछ लोगों की मान्यता है कि... मोदी जी अभी तक संविधान में पंथनिरपेक्ष शब्द काट के "भारत एक हिन्दू राष्ट्र" क्यों नहीं कर रहा है...
मतलब कि... होटल का सिर्फ बोर्ड बदल दो... खाना यही चलता रहेगा...
जबकि... मोदी जी होटल के बोर्ड बदलने की जगह खाने को पूर्ण रूपेण सात्विक और शाकाहारी बना रहा है...
मतलब कि देश की संस्कार/प्रकृति बदल रही है...
याद करके देखें कि... भारत में हिंदुओं के बहुसंख्यक होने के बावजूद भी 2014 से पहले हमारे पास क्या था?
गंदी एवं बदबूदार गलियों से घिरा हुआ हमारा काशी विश्वनाथ, बुनियादी सुविधाओं को भी तरसता हमारा विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर, संगीनों के साये में होती वैष्णो देवी यात्रा... टेंट में पड़े भगवान राम...
जबकि, हर शहर में आधुनिक सुविधाओं से लैस एवं जगमगाता हुआ सा हज हाउस, चमचमाते हुए से मजार और हज के जाने वाले लोगों को दिया जा रहा था VVIP बर्ताव...
ऐसे में आप संविधान के एक पन्ने में "भारत एक हिन्दू राष्ट्र" लिख भी देते तो क्या बदल जाना था?
उल्टे उसकी प्रतिक्रिया में हुए दंगों में हजारों लाखों लोगों की जान चली जाती और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण जीना मुहाल हो जाता....
इसीलिए... मोदी जी ने होटल की बोर्ड बदलने की अपेक्षा पहले खाने की गुणवत्ता को बदलना शुरू किया...
क्योंकि, अगर एक बार हमने खाने की गुणवत्ता को बदल कर उसे पूर्णतया सात्विक और शाकाहारी कर दिया तो फिर आपको होटल का बोर्ड बदलने की जरूरत ही नहीं पड़नी है...
क्योंकि, फिर तो वो होटल खुद ही एक शुद्ध वैष्णव होटल के रूप में प्रसिद्ध हो जाना है...
महज 8 सालों के छोटे अंतराल में ही जहाँ पहले हमारे पास भव्यता के नाम पर सिर्फ मीनाक्षी और तिरुपति मंदिर आदि ही थे...
अब... केदारनाथ से लेकर अयोध्या के राम मंदिर, काशी कॉरिडोर, महाकाल लोक जैसे अनेकों ऐतिहासिक धरोहर बनते जा रहे हैं...
इन भव्य मंदिरों की वैल्यू आप इसी से समझ सकते हैं कि... जो हिंदुस्तान पहले एकमात्र ताजमहल और लालकिला से पहचाना जाता था...
अब हिंदुस्तान... सरदार पटेल की प्रतिमा, भव्य एवं दिव्य अयोध्या का श्री राम मंदिर, भव्य काशी कॉरिडोर, महाकाल लोक, केदारनाथ कॉरिडोर आदि से पहचाना जाएगा...
इस तरह... मोदी जी द्वारा हिंदुस्तान को भव्य मंदिरों के देश के रूप में पुनर्स्थापित किया जा रहा है...
अगर अभी तक आप ये नहीं समझ पाए हैं कि क्या हो रहा है... तो, मैं उसे एक बहुत साधारण भाषा में समझा देता हूँ कि क्या हो रहा है...
जब हम मुगल काल से पहले का इतिहास पढ़ते हैं तो हम यही पढ़ते हैं कि... गजनवी/गोरी या उन जैसे कोई अन्य जेहादी भारत आये तो वे भारत में मौजूद भव्य मंदिरों को देखकर चकाचौंध रह गए...
प्राचीन काल में... अयोध्या, काशी, मथुरा, सोमनाथ आदि मंदिर इतने भव्य और विशाल थे कि वे आतताई हैरानी से उसे देखते ही रह गए कि... बाप रे... इतना भव्य?
बाद में होश में आते ही उन्होंने... हिंदुस्तान की सभ्यता संस्कृति को नष्ट करने हेतु उन भव्य मंदिरों को नष्ट कर दिया और उसके मलबे से वहाँ खुद के लिए एक जीर्ण शीर्ण सा ढांचा खड़ा कर दिया...
अब 1000 साल के बाद मोदी जी... हमारे उसी प्राचीन काल के हिंदुस्तान के वैभव को वापस ला रहे हैं...
तथा, हिंदुस्तान को एक बार फिर से दुनिया में उसी शक्तिशाली एवं वैभवपूर्ण देश के रूप में स्थापित कर रहे हैं...
जहाँ की पहचान... कोई लालकिला, ताजमहल अथवा आलतू-फालतू मजार या हज हाउस नहीं...
बल्कि, दिव्य एवं भव्य मंदिर एवं कॉरिडोर बन रहे हैं...
क्योंकि, अगर आप नहीं जानते हैं तो ये जानना आपके लिए दिलचस्प होगा की उज्जैन के "महाकाल लोक" के उद्घाटन समारोह का दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में लाइव प्रसारण किया गया...
उसी तरह... अयोध्या के श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन एवं काशी कॉरिडोर का भी प्रसारण पूरी दुनिया में किया गया था...
यही तो है... सही मायने में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मार्ग... जहाँ सिर्फ होटल का बोर्ड ही "शुद्ध वैष्णव होटल" नहीं बल्कि खाना भी वैष्णव अनुरूप "शुद्ध एवं सात्विक" बनाया जा रहा है...
अंतर सिर्फ ये है कि कुछ लोग चाहते हैं कि मोदी जी गांव के अपने से सुंदर 4-5 घरों को डाइनामाइट लगा कर उड़ा दें ताकि अपना घर सर्वश्रेष्ठ दिखने लगे...
जबकि, मोदी जी... दूसरों के घरों से कोई छेड़छाड़ किये बिना अपने घर के इस तरह से रेनोवेशन कर रहे हैं कि हमारा घर सिर्फ अपने गांव ही नहीं बल्कि आसपास के 100-50 गांवों में सर्वश्रेष्ठ की गिनती में आ जाये...
जय महाकाल...!!!
सोच बदलो समाज बदलेगा
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