खुद के रास्ते खुद बनाएं
खुद के रास्ते खुद बनाएं
एक गांव था जो की
शहर से दूर एक बड़े
से जंगल के बीचों बीच
में बसा था। उस गांव
के लोग हमेशा
से उसी जंगल
में रहते थे।
वो जानते ही
नही थे की उस जंगल
के बाहर भी एक अलग
दुनिया है। उन्होंने
ना कभी शहर के बारे
में सोचा और ना ही
उस जंगल से बाहर निकलने
की। उस गांव के लोग
अपनी जरूरत की
हर चीज उस बड़े से
जंगल से ही पूरी कर
लेते थे।
उसी गांव में
एक व्यक्ति था
जिसके पास बहुत
से गधे थे। दूर जंगल
से समान लाने
का काम वही करते। उन
सब में एक गधा था
जो सबसे छोटा
था। जिसका काम
करने में बिल्कुल
मन नही लगता
था। उसका मालिक
उस गधे से बहुत काम
करवाता और जब जरूरत नहीं
होती तो वो उस गधे
से काम करवाने
के लिए उसे दूसरों को
भी दे देता।
वो गधा अपनी
इस जिंदगी से
काफी परेशान था
और हमेशा उस
जंगल से बाहर निकलने की
सोचता।
लेकिन गांव वालों
की तरह उसे भी जंगल
से बाहर निकलने
का रास्ता नहीं
पता था। वो गधा धीरे
धीरे बड़ा हुवा
तो उस पर काम का
बोझ भी बढ़ गया। इस सबसे परेशान
होकर एक दिन उसने मन
बना लिया की चाहे कुछ
भी हो जाए वो अब
इस गांव में
नही रहेगा। और
उसी रात वो गधा चुपचाप
उस गांव से भाग गया।
गधा सारी रात
चलता रहा लेकिन
उसे घने जंगल
के अलावा कुछ
नजर ही नहीं आ रहा
था। उसने कई बार वापिस
गांव जाने की भी सोची
लेकिन उसका मन नही माना।
आंखिरकार गधे की
मेहनत रंग लाई और पूरा
एक दिन बीतने
के बाद वो जंगल से
बाहर निकल गया।
जंगल के बाहर उसे एक
सड़क दिखी और वो उस
सड़क से होते हुवे शहर
पहुंच गया।
उधर गांव में
सब गधे को ढूंढ रहे
थे लेकिन गधे
का कहीं पता
नही चला। कुछ
लोगों को लगा की गधा
जंगल में कही लापता हो
गया है या फिर वो
इस जंगल से ही बाहर
निकल गया है। ये सब
बातें गांव के कुत्ते भी
सुन रहे थे। जब उन्होंने
सुना की गधा गांव से
बाहर निकल गया
है तो वो सोचने लगे
की जब एक गधा गांव
से बाहर जा सकता है
तो हम भी इस गाँव
से बाहर निकल
सकते हैं। ऐसा
सोचकर वो कुत्ते
उस गधे की गंध का
पीछा करते हुवे
जंगल की तरफ भाग गए
और वो भी जंगल बाहर
निकल गए।
धीरे धीरे कुत्ते
रोज शहर से गांव में
आते और गांव से शहर
चले जाते। ऐसा
करते करते उन्होंने
एक रास्ता बना
दिया। उस रास्ते
के जरिए अब गांव वाले
भी शहर जाने
लगे। लेकिन वो
रास्ता इतना लंबा
था की गांव से शहर
पहुंचने में इंसानों
को दो दिन लग जाते।
इस समस्या को
सुलझाने के लिए गांव वालों
ने शहर के बड़े अधिकारियों
से मदद मांगी
और एक सड़क बनाने की
मांग रखी। कुछ
दिन बाद शहर से कुछ
इंजीनियर गांव की
जमीन का परीक्षण
करने आए। वो लोग रोड
बनाने का एक
map बनाने लगे जिसमे
उनका सारा दिन
लग गया।
ये देखकर गांव
का मुखिया उनके
पास आया और बोला, “ये
सब आप लोग क्या कर
रहें जिस रास्ते
से हम लोग आते जाते
हैं आप उसी में सड़क
क्यों नही बना देते। इतनी
लिखाई पढ़ाई करने
की क्या जरूरत
है।”
मुखिया की बात
सुनकर एक इंजीनियर
ने पूछा, “एक
बात बताइए ये
रास्ता सबसे पहले
किसने बनाया?”
मुखिया बोला, “सबसे
पहले तो एक गधा इस
रास्ते से निकला
था और उसी ने ये
रास्ता बनाया है।”
इंजीनियर हंसा और
बोला, “मुझे यकीन
था की ये रास्ता एक
गधा ही बना सकता है
क्योंकि ये इस गांव से
निकलने का सबसे लंबा रास्ता
है और जो रास्ता हम
बनाएंगे उसकी मदद
से आप सिर्फ
कुछ ही घंटों
में इस जंगल से निकलकर
शहर में आ जा सकते
हैं।”
वो मुखिया चुप
हो गया और वहां से
चला गया।
सीख जो हमें
इस कहानी से
मिलती है,,
सीधी सी बात
ये कहानी हमे
सीखती है की हमें हमेशा
दूसरों के बनाएं
रास्तों पर नही चलना चाहिए
बल्कि अपने रास्ते
खुद बनाने चाहिए।
दूसरों के बनाए रास्ते पर
चलना भले आसान
होता है लेकिन
वो रास्ते आपको
उस अनुभव से
दूर कर देते हैं जो
आप खुद के बनाए रास्ते
से सीखते हैं।
जिंदगी में आप सफल तभी
होंगे जब आप अपनी सोच
से खुद कुछ करेंगे।
दूसरों की देखा
देखी करके जरूरी
नहीं है की आपको भी
सफलता मिल ही जाए। इसलिए
अपना लक्ष्य खुद
बनाएं। उस लक्ष्य को अपने तरीके से
पूरा करें। दूसरों
से सीखें लेकिन
बिलकुल वैसा ना करें जैसा
दूसरों ने किया हो। खुद
के रास्ते खुद
बनाएं और उन रास्तों पर चलने की पूरी
हिम्मत रखें। सफलता
आपको जरूर मिलेगी।
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