घर के बुजुर्गों का सम्मान
घर के बुजुर्गों का सम्मान …
छोटे ने कहा,"
भैया, दादी कई बार कह
चुकी हैं कभी मुझे भी
अपने साथ होटल
ले जाया करो."
गौरव बोला, " ले तो जायें पर
चार लोगों के
खाने पर कितना
खर्च होगा.
याद है, पिछली
बार जब हम तीनों ने
डिनर लिया था,
तब सोलह सौ का बिल
आया था.
*हमारे पास अब
इतने पैसे कहाँ
बचे हैं.
" पिंकी
ने बताया," मेरे
पास पाकेटमनी के
कुछ पैसे बचे
हुए हैं."
तीनों ने मिलकर
तय किया कि इस बार
दादी को भी लेकर चलेंगे,
इस बार मँहगी
पनीर की सब्जी
की जगह मिक्सवैज
मँगवायेंगे और आइसक्रीम
भी नहीं खायेंगे.*
छोटू, गौरव और
पिंकी तीनों दादी
के कमरे में
गये और बोले,
"दादी इस' संडे
को लंच बाहर
लेंगे, चलोगी हमारे
साथ."
दादी ने खुश
होकर कहा," तुम
ले चलोगे अपने
साथ."
"हाँ दादी "
संडे को दादी
सुबह से ही बहुत खुश
थी.
आज उन्होंने अपना सबसे
बढिया वाला सूट
पहना, हल्का सा
मेकअप किया, बालों
को एक नये ढंग से
बाँधा.
आँखों पर सुनहरे
फ्रेमवाला नया चश्मा
लगाया.
यह चश्मा उनका
मँझला बेटा बनवाकर
दे गया था जब वह
पिछली बार लंदन
से आया था.
किन्तु वह उसे
पहनती नहीं थी,
कहती थी, इतना
सुन्दर फ्रेम है,
पहनूँगी तो पुराना
हो जायेगा.
आज दादी शीशे
में खुद को अलग अलग
एंगिल से कई बार देख
चुकी थी और संतुष्ट थी.
बच्चे दादी को
बुलाने आये तो पिंकी बोली,"अरे वाह
दादी, आज तो आप बडी
क्यूट लग रही हैं".
गौरव ने कहा,"
आज तो दादी ने गोल्डन
फ्रेम वाला चश्मा
पहना है. क्या
बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड
को भी बुला रखा है
क्या."
दादी शर्माकर बोली, " धत."
होटल में सैंटर
की टेबल पर चारो बैठ
गए.
थोडी देर बाद
वेटर आया, बोला,
" आर्डर प्लीज ".
अभी गौरव बोलने
ही वाला था कि दादी
बोली," आज आर्डर
मैं करूँगी क्योंकि
आज की स्पेशल
गैस्ट मैं हूँ."
दादी ने लिखवाया-
दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता
वैजेटेबिल वाला, सलाद,
पापड, नान बटरवाली
और मिस्सी रोटी.
हाँ खाने से
पहले चार सूप भी.
तीनों बच्चे एकदूसरे
का मुँह देख
रहे थे.
थोडी देर बाद
खाना टेबल पर लग गया.
खाना टेस्टी था,
जब सब खा
चुके तो वेटर फिर आया,
"डेजर्ट में कुछ
सर".
दादी ने कहा, " हाँ
चार कप आइसक्रीम
".
तीनों बच्चों की
हालत खराब, अब
क्या होगा, दादी
को मना भी नहीं कर
सकते पहली बार
आईं हैं.
बिल आया,
इससे पहले गौरव
उसकी तरफ हाथ बढाता,
बिल दादी ने
उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं
करूँगी.
बच्चों मुझे तुम्हारे
पर्स की नहीं,
तुम्हारे समय की
आवश्यकता है,
तुम्हारी कंपनी की
आवश्यकता है.
मैं पूरा दिन
अपने कमरे में
अकेली पडे पडे बोर हो
जाती हूँ.
टी.वी. भी
कितना देखूँ,,
मोबाईल पर भी
चैटिंग कितना करूँ.
बोलो बच्चों क्या
अपना थोडा सा समय मुझे
दोगे,"
कहते कहते दादी
की आवाज भर्रा
गई.
पिंकी अपनी चेयर
से उठी,
उसने दादी को
अपनी बाँहों में
भर लिया और फिर दादी
के गालों पर
किस करते हुए
बोली," मेरी प्यारी
दादी जरूर."
गौरव ने कहा,
" यस दादी, हम
प्रामिस करते हैं,
कि रोज आपके
पास बैठा करेंगे
और तय रहा
कि हर महीने
के सैकंड संडे
को लंच या डिनर के
लिए बाहर आया
करेंगे और पिक्चर
भी देखा करेंगे."
दादी के होठों
पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई,
आँखों में फ्लैशलाइट
सी चमक आ गई और
चेहरे की झुर्रियाँ
खुशी के कारण नृत्य सा
करती महसूस होने
लगीं...-
मित्रों,
बूढ़े मां-बाप
रूई के गठठर समान होते
है,
शुरू में उनको
बोझ नहीं महसूस
होता, लेकिन बढ़ती
उम्र के साथ जैसे रुई
भीग कर बोझिल
होने लगती है.
वैसे जिंदगी की
थकान बोझ लगती
है।
बुजुर्ग समय चाहते
हैं पैसा नही,
पैसा तो उन्होंने
सारी जिंदगी आपके
लिए कमाया-की
बुढ़ापे में आप उन्हें समय
देंगे।
यदि वृक्ष से
फल न मिले,
तो कोई बात
नहीं,
किन्तु छाया
सकून प्रदान करती
है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें