प्रिय चांद
प्रिय चाँद मैं ठीक हूँ । तुम्हारी कुशलता का समाचार मिला । सुनकर अच्छा लगा। तुम्हारे प्रिय भाँजे विक्रम और प्रज्ञान कई दिनों की कड़ी और दुर्गम यात्रा के बाद सकुशल तुम्हारे पास पहुँच गये। प्रज्ञान अभी छोटा है थोड़ा नटखट भी। तुम्हारे घर पहुँच कर भी विक्रम बता रहा था कि काफ़ी देर तक वो विक्रम की गोद में ही दुबका रहा। शायद लम्बी दूरी की यात्रा करके काफ़ी थक गया होगा। अब सुना है वो विक्रम की गोद से उतर कर अपने ननिहाल में धमाचौकड़ी मचाना शुरू कर दिया है। दरअसल ये लोग काफ़ी समय से तुम्हारे यहाँ जाने की ज़िद कर रहे थे। हम बताते थे कि मामा का दक्षिण वाला घर बहुत दुर्गम क्षेत्र में है । पता नहीं वहाँ खाना पानी हवा है भी कि नहीं और सबसे बड़ी बात आज तक कोई भी मामा के साउथ वाले बंगले पर कदम भी नहीं रख पाया है लेकिन मजाल है कि इन लोगों को कभी डर लगा हो। दो बार तो ये जाने के लिए घर से निकल भी पड़े लेकिन बैड लक रहा कि...